भारत का स्वतंत्रता दिवस
( Independence Day)
हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है।
( Independence Day)
हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है।
स्वतंत्रता दिवस
Independence Day |
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मनाने वाले
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भारत
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प्रकार
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राष्ट्रीय अवकाश
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तिथि
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15 अगस्त
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उत्सव
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झंडा फहराना,
परेड, देशभक्ति के गीत राष्ट्रगान, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र को संबोधन
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अवधि
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1 दिन
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आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी)
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सालाना
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Ø सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता
प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है।
Ø सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता
प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है।
Ø 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने,
दिल्ली में लाल किले के लाहौर गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था
Ø स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक
आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ
इतिहास
यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय
उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था।
अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था।
1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन)
अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया। दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का निर्माण हुआ।
अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था।
1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन)
अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया। दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का निर्माण हुआ।
स्वतंत्रता
से पहले स्वतंत्रता दिवस
1929 लाहौर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज
घोषणा, या "भारत की
आजादी की घोषणा" का प्रचार किया और
26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया।
कांग्रेस ने भारत के लोगों से सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा |
26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया।
कांग्रेस ने भारत के लोगों से सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा |
इस तरह के स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन
भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने के लिये किया गया व
स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया।
कांग्रेस ने 1930 और 1956 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इनका वर्णन किया है
कि ऐसी बैठकें "किसी भी भाषण या उपदेश के बिना,"शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं। 1947 में वास्तविक आजादी के बाद ,भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया; तब के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया।
कांग्रेस ने 1930 और 1956 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इनका वर्णन किया है
कि ऐसी बैठकें "किसी भी भाषण या उपदेश के बिना,"शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं। 1947 में वास्तविक आजादी के बाद ,भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया; तब के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तात्कालिक
पृष्ठभूमि
सन् 1946 में, ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सरकार का राजकोष,
हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद खस्ताहाल था।
तब उन्हें एहसास हुआ कि न तो उनके पास घर पर जनादेश था
और न ही अंतर्राष्ट्रीय समर्थन।
इस कारण वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित
करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे।
हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद खस्ताहाल था।
तब उन्हें एहसास हुआ कि न तो उनके पास घर पर जनादेश था
और न ही अंतर्राष्ट्रीय समर्थन।
इस कारण वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित
करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे।
फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की
कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को
पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी।
अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख
को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम
लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है।
उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध
, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना।
ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित
करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया। व ये भी
घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व
दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।
कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को
पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी।
अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख
को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम
लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है।
उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध
, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना।
ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित
करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया। व ये भी
घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व
दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।
यूनाइटेड किंगडम की संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
(10 और 11 जियो 6 सी. 30) के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी (अब बांग्लादेश सहित)
ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित
किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया।
18 जुलाई 1947 को इस अधिनियम को शाही स्वीकृति प्रदान की गयी।
(10 और 11 जियो 6 सी. 30) के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी (अब बांग्लादेश सहित)
ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित
किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया।
18 जुलाई 1947 को इस अधिनियम को शाही स्वीकृति प्रदान की गयी।
स्वतंत्रता
व बंटवारा
लाखों मुस्लिम, सिख और हिन्दू शरणार्थियों ने स्वतंत्रता के
बाद.
तैयार नयी सीमाओं को पैदल पार कर सफर तय किया।
पंजाब जहाँ सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में विभाजित किया,
वहां बड़े पैमाने पर रक्तपात हुआ, बंगाल व बिहार में भी हिंसा भड़क
गयी पर महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया।
नई सीमाओं के दोनों ओर 2 लाख 50 हज़ार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए।
पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, वहीं[19], गांधी जी नरसंहार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए
,पर 14 अगस्त 1947, को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुआ
और पाकिस्तान नामक नया देश अस्तित्व में आया;
मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली।
तैयार नयी सीमाओं को पैदल पार कर सफर तय किया।
पंजाब जहाँ सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में विभाजित किया,
वहां बड़े पैमाने पर रक्तपात हुआ, बंगाल व बिहार में भी हिंसा भड़क
गयी पर महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया।
नई सीमाओं के दोनों ओर 2 लाख 50 हज़ार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए।
पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, वहीं[19], गांधी जी नरसंहार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए
,पर 14 अगस्त 1947, को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुआ
और पाकिस्तान नामक नया देश अस्तित्व में आया;
मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली।
भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में संविधान हॉल में
14 अगस्त को 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की।
इस सत्र में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए
"ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" नामक भाषण दिया।
14 अगस्त को 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की।
इस सत्र में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए
"ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" नामक भाषण दिया।
सभा के सदस्यों ने औपचारिक रूप से देश
की सेवा करने की शपथ ली।
महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया
व औपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया।
आधिकारिक समारोह नई दिल्ली में हुए जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया।
नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया,
और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला।
महात्मा गांधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया।
गांधी ने हालांकि खुद आधिकारिक घटनाओं में कोई हिस्सा नहीं लिया।
इसके बजाय, उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति को प्रोत्साहित करने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की,
उस दौरान ये 24 घंटे उपवास पर रहे।
महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया
व औपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया।
आधिकारिक समारोह नई दिल्ली में हुए जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया।
नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया,
और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला।
महात्मा गांधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया।
गांधी ने हालांकि खुद आधिकारिक घटनाओं में कोई हिस्सा नहीं लिया।
इसके बजाय, उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति को प्रोत्साहित करने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की,
उस दौरान ये 24 घंटे उपवास पर रहे।
15 अगस्त 1947 को सुबह 11:00 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता
का समारोह आरंभ किया, जिसमें
अधिकारों का हस्तांतरण किया गया। जैसे ही मध्यरात्रि की घड़ी आई भारत ने अपनी स्वतंत्रता
हासिल की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
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